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जांजगीर-चांपा जिले में बढ़ी शराब की अवैध बिक्री: सरकार की अव्यवस्था और स्टाफ की कमी बनी बड़ी वजह

जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में अवैध शराब की बेतहाशा बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। शासन की अव्यवस्था और आबकारी विभाग की स्टाफ कमी के चलते यह गैरकानूनी कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध शराब की बिक्री ना केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि इससे समाज में अपराध भी बढ़ रहे हैं।

सेटअप से सिर्फ 50 फीसदी स्टाफ 

जिले में आबकारी विभाग का मौजूदा हाल बेहद चिंताजनक है। विभाग को जितने कर्मचारियों की आवश्यकता है, उसके केवल 50 प्रतिशत स्टाफ ही तैनात हैं। विभाग का संचालन सीमित संसाधनों और न्यूनतम स्टाफ के साथ किया जा रहा है, जिससे कार्यप्रणाली पूरी तरह प्रभावित हो रही है। कार्रवाई की स्थिति में विभाग को नगर सेना पर निर्भर रहना पड़ता है, जो अपने आप में एक अलग समस्या है।

शासन की अव्यवस्था बनी मुख्य कारण

जिले में लगातार अवैध शराब के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन शासन की ओर से कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई गई है। हालांकि आबकारी टीम अपने स्तर पर कार्रवाई करती है। सरकार के स्तर पर न तो स्टाफ की पूर्ति की जा रही है और न ही अवैध शराब के खिलाफ नियमित अभियान चलाए जा रहे हैं। इसका सीधा लाभ अवैध धंधेबाजों को मिल रहा है, जो खुलेआम शराब की बिक्री कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों में बढ़ रही नाराजगी

अवैध शराब की बिक्री से न केवल युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ रहा है, बल्कि इससे घरेलू हिंसा, चोरी, झगड़े जैसे अपराध भी बढ़ रहे हैं। गांवों और कस्बों में नशे की लत तेजी से फैल रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन जल्द से जल्द सख्त कदम नहीं उठाता, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।

क्या है समाधान?

सबसे पहला कदम यह होना चाहिए कि आबकारी विभाग में स्टाफ की पूर्ण नियुक्ति की जाए। साथ ही, अवैध शराब के खिलाफ नियमित रूप से छापेमारी और निगरानी अभियान चलाया जाए। स्थानीय पुलिस और नगर सेना को आबकारी विभाग के साथ बेहतर तालमेल बनाकर काम करना होगा। इसके अलावा, जनजागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए, जिससे लोग खुद अवैध शराब की सूचना देने के लिए आगे आएं।

निष्कर्ष

जांजगीर-चांपा जिले में अवैध शराब की बिक्री एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यदि समय रहते शासन ने इसका संज्ञान नहीं लिया, तो इसके सामाजिक और स्वास्थ्यगत परिणाम बेहद घातक होंगे। अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन इस ओर गंभीरता से ध्यान दें और अव्यवस्था को दूर कर जिले को सुरक्षित और स्वस्थ बनाएँ।

नगर सेना पर निर्भर रहना मजबूरी

आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त आलेख राम सिदार का कहना है कि स्टाफ की कमी है। कार्रवाई के लिए नगर सेना पर निर्भर रहना पड़ता है। फिर भी अपने स्तर पर लगातार कार्रवाई की जा रही है।

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