पौराणिक परंपरानुसार खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, 6 महीने तक श्रद्धालु कर सकेंगे दर्शन

अरविन्द तिवारी@विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिये विधि विधान से मंत्रोच्चार व सेना के बैंड की धुनों के साथ खोल दिये गये। अब अगले छह महीने तक श्रद्धालु मंदिर में भगवान बद्रीनाथ के दर्शन कर सकेंगे , वहीं इस साल बद्रीनाथ धाम परिसर में फोटो और वीडियो लेने पर बैन लगाया गया है और ऐसा करने पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
कपाट खुलने के पावन अवसर का साक्षी बनने के लिये भारी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ पहुंचकर कतार पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इस खास मौके पर आज बद्रीनाथ धाम को चालीस क्विंटल फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया था। सबसे पहले मंदिर के रावल ने भगवान की पूजा-अर्चना की। उसके बाद अब मंदिर के पुजारी और दूसरे आचार्य भगवान का अभिषेक , दर्शन और पूजा में शामिल होने के लिये मंदिर में प्रवेश किया। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही जय बद्रीनाथ के जयघोष से धाम गुंजायमान हो उठा और मंत्रोच्चारण से चारों तरफ का वातावरण भक्तिमय हो गया। हल्की बर्फबारी व बारिश के बीच सेना की गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट के बैण्ड की मधुर धुन तथा स्थानीय महिलाओं के पारम्परिक संगीत व नृत्य के साथ भगवान बद्रीनाथ की स्तुति ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा निर्देशों के अनुरूप बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर तीर्थ यात्रियों के स्वागत में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा से श्रद्वालु गदगद हो उठे। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर के मुख्य द्वार की ड्रोन से निगरानी भी की जा रही थी और पूरे मंदिर परिसर को सिक्योरिटी जोन में लिया गया था। बद्रीनाथ धाम में माईनस टू डिग्री के तापमान में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था और कपाट खुलने के समय मंदिर परिसर में दस हजार से भी अधिक श्रद्धालु मौजूद थे। मंदिर के कपाट खुलने से पहले भगवान के खजाने की पूजा-अर्चना की गई। कपाट खुलने से पहले ही अखंड ज्योति के दर्शन के लिये हजारों यात्री धाम में पहुंचे थे। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के मुख्य अवसर पर श्री बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी , धर्माधिकारी , बद्री केदार मंदिर सामिति के अध्यक्ष सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कपाट खुलने की प्रक्रिया के तहत सुबह पांच बजे बद्रीनाथ के दक्षिण द्वार से भगवान कुबेर जी की डोली ने प्रवेश किया। फिर सवा पांच बजे विशिष्ट व्यक्तियों का मंदिर में प्रवेश हुआ। साढ़े पांच बजे रावल , धर्माधिकारी व वेदपाठियों का उद्धव जी के साथ गणेश और द्वारपाल पूजा करके अंदर जाने की अनुमति ली। सुबह छह बजे रावल और धर्माधिकारियों द्वारा द्वार पूजन किया गया फिर श्रद्धालुओं के लिये बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिये गये। उनकी ओर से विश्व कल्याण और आरोग्यता की भावना से पूजा-अर्चना एवं महाभिषेक समर्पित किया गया। इस दौरान भगवान बद्रीविशाल को शीतकाल के दौरान ओढ़ाये गये घी से लेपित उनके कंबल का प्रसाद वितरित हुआ। इसके पश्चात सुबह साढ़े नौ बजे गर्भगृह में भगवान बद्रीनाथ की पूजा शुरू हुई। इससे पहले शनिवार को पांडुकेश्वर के योग ध्यान बद्री मंदिर से बद्रीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) और बदरीनाथ के वेदपाठी आचार्य ब्राह्मणों की अगुवाई में भगवान उद्धव जी की डोली, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व तेल कलश यात्रा (गाडू घड़ा) बद्रीनाथ धाम पहुंची थी। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले ‘गाडू घड़ा’ यात्रा निकाली जाती है , जिसमें तिल के शुद्ध तेल से भरे कलश को नरेंद्रनगर राजदरबार से विशेष मंत्रोच्चार के साथ बद्रीनाथ लाया जाता है और यही तेल भगवान बद्रीविशाल के अभिषेक में प्रयोग होता है। कपाट खुलने से एक दिन पहले टिहरी राजपरिवार की ओर से राज पुरोहित विशेष पूजा करते हैं। साथ ही मंदिर के शिखर पर नया ध्वज फहराया जाता है। मुख्य पुजारी (रावल) और तीर्थ पुरोहित मिलकर वैदिक हवन और कलश स्थापना करते हैं। गर्भगृह की सफाई के बाद भगवान की प्रतिमा का शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है और नये वस्त्र व आभूषण पहनाये जाते हैं। यह संपूर्ण प्रक्रिया भगवान को शीतकालीन विश्राम के बाद जगाने के प्रतीक के रूप में होती है। इससे पहले 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री-यमुनोत्री धाम और 02 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले गये थे। आज बद्रीनाथ के कपाट खुलते ही अब चार धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है।
अमरनाथ को मिली रावल नई जिम्मेदारी
बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी केरल के नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं , जिन्हें रावल कहा जाता है। पिछले साल तक ईश्वर प्रसाद नंबूदरी मुख्य रावल थे , लेकिन खराब सेहत के चलते उन्होंने पद छोड़ दिया है। इस बार अमरनाथ नंबूदरी (तीस वर्षीय) को नये रावल की जिम्मेदारी मिली है। ये चौबीसवें रावल हैं , जो बद्रीनाथ धाम में ढाई सौ साल पुरानी इस परंपरा को जारी रखेंगे। अमरनाथ उत्तरी केरल से हैं और यह उनकी पहली पूजा होगी। आठवीं शताब्दी में जब आदि शंकराचार्य ने चारों धामों में चार पीठों की स्थापना की तो उन्होंने बद्रीनाथ में पूजा की जिम्मेदारी केरल के नंबूदरी ब्राह्मणों को ही दी थी।
भगवन्नाम संकीर्तन के साथ करें दर्शन – स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
आज बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर ज्योतिर्मठ के 55 वें शंकराचार्य परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीअविमुक्तेश्वरानंद सरस्वतीजी महाराज 1008 उपस्थित रहे। इस अवसर पर शंकराचार्यजी ने सनातन धर्मियों को सन्देश देते हुये कहा कि अधिक से अधिक संख्या में आकर लोग दर्शन करें , यहां तीर्थाटन की दृष्टिकोण से आयें और कष्ट सहने की भावना रखें। यात्रा के समय अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखें , मौन रहें और निरन्तर भगवन्नाम संकीर्तन करते हुये भगवान के दर्शन करें , साथ ही पर्यावरण को कोई नुकसान ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखें । पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने आगे कहा कि यहां आकर हम सबको आध्यात्मिक आनन्द प्राप्त करना चाहिये , आध्यात्मिक आनन्द और लौकिक में केवल इतना अन्तर है कि लौकिक आनन्द क्षणिक है और आध्यात्मिक आनन्द पूरे जीवन भर हमें शान्ति प्रदान करता है , उस अनुभूति को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता इसलिये यहां आकर इस को अनुभूत करना चाहिये।
सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था के व्यापक इंतज़ाम: सीएम धामी
इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बद्रीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बद्री विशाल की विधिवत पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर सीएम धामी ने कहा कि आज का दिन अत्यंत शुभ है , आज भगवान बद्री विशाल के कपाट खुल रहे हैं। मैं उत्तराखंड की पावन भूमि पर सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करता हूं और भगवान से प्रार्थना करता हूं कि सभी श्रद्धालुओं की यात्रा सुगमता से संपन्न हो। सभी व्यवस्थायें पूरी कर दी गई हैं। यात्रा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किये हैं और स्वास्थ्य सुविधायें भी बढ़ाई गई हैं। उन्होंने इस दौरान श्रद्धालुओं से मुलाकात कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश भी दिये।