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अंकों की दौड़ को ज़िंदगी का अंतिम मुकाम न समझें, बोर्ड परीक्षा में असफल छात्रों के अभिभावकों एवं पालकों से अपील

बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम जैसे ही घोषित होते हैं, समाज में एक विशेष प्रकार की हलचल और मानसिक दबाव का वातावरण बन जाता है। कुछ परिवार सफलता का उत्सव मनाते हैं, तो कुछ घरों में मायूसी और चिंता का माहौल बन जाता है। माध्यमिक शिक्षा मंडल तथा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की कक्षा 10वीं और 12वीं के परिणामों के पश्चात कुछ इसी प्रकार की स्थिति निर्मित हो रही है।

जहाँ एक ओर उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाइयाँ मिल रही हैं, वहीं दूसरी ओर वे विद्यार्थी, जो किसी कारणवश अपेक्षित परिणाम नहीं प्राप्त कर सके, एवं उनके परिवार मानसिक तनाव के दौर से गुज़र रहे हैं। ऐसे समय में समाज का दायित्व बनता है कि वह संवेदनशीलता और समझदारी के साथ आगे आए तथा इस परिस्थिति को बच्चों की भावुक मानसिकता के दृष्टिकोण से देखे।

अंकों की दौड़ को ज़िंदगी का लक्ष्य न बनाएं। यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि आज के अभिभावकों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण संदेश है। जीवन केवल नंबरों या प्रमाणपत्रों से नहीं चलता – यह तो अनुभवों, मूल्यों, प्रतिभाओं और आत्मविश्वास से बनता है।

हर बच्चा अनूठा होता है।
किसी की रुचि चित्रकला में होती है, तो कोई खेलों में अद्भुत प्रतिभा रखता है। कोई तकनीकी कौशल में अग्रणी होता है, तो कोई समाज सेवा की भावना से ओतप्रोत होता है। परीक्षाओं में मिले अंक किसी भी बच्चे की संपूर्ण योग्यता का निर्धारण नहीं करते; वे केवल एक सीमित मूल्यांकन पद्धति का हिस्सा हैं।

हम अभिभावकों से विनम्र अपील करते हैं

कृपया अपने बच्चों की तुलना दूसरों से न करें।असफलता को अंतिम सत्य न मानें।

बच्चों पर करियर, समाज या रिश्तेदारों की अपेक्षाओं का बोझ न डालें।

उनके आत्मसम्मान की रक्षा करें, उनका मनोबल बनाए रखें।

उनके साथ बैठकर संवाद करें, उन्हें सुनें, समझें और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।

अपने बच्चे को डाँटिए मत, तराशिए और फिर देखिए, वह कैसे ऊँचाइयों को छूता है।”

इस दौर में सबसे अधिक आवश्यकता है एक संवेदनशील, सहयोगात्मक और प्रोत्साहनभरा वातावरण देने की।

हर असफलता एक अनुभव है, और हर अनुभव से एक नई दिशा निकलती है।

हम सभी अभिभावकों, शिक्षकों और समाजसेवियों से अपील करते हैं कि वे मिलकर ऐसा परिवेश बनाएं, जिसमें हर बच्चा स्वयं को समझे, निखारे और समाज का समर्थ नागरिक बन सके।
सभी विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए अनगिनत शुभकामनाएँ।
आपका प्रत्येक कदम आत्मविश्वास और सफलता की ओर अग्रसर हो।

डॉ. रविन्द्र द्विवेदी
शिक्षक एवं साहित्यकार
चांपा, जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़