जिले में खाद्यान्न दुकानों का कामकाज हुआ बेलगाम, कई दुकानों में अब तक नहीं बनी समिति, कई जगह कागजों में संचालित

जांजगीर-चांपा। जिले में खाद्य विभाग का कामकाज पूरी तरह बेलगाम हो गया है, जिसके चलते जिले में संचालित खाद्यान्न दुकानों में लापरवाही चरम पर है। खास बात यह है कि जिले की राशन दुकानों से हो रहे खाद्यान्न वितरण की मॉनीटरिंग के लिए गठित होने वाली निगरानी समितियां कई जगह बनी ही नहीं है तो कई जगह यह समिति महज कागजों में ही चल रही है। इसके बावजूद जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है।
आपकों बता दें कि शहरी क्षेत्रों में निगरानी समिति का पदेन अध्यक्ष स्थानीय पार्षद और ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच अध्यक्ष होता है, लेकिन ज्यादातर जगहों में उन्हें ही इसकी जानकारी नहीं है। न ही अब तक उन्हें इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध कराई गई है। इसके चलते समितियां राशन दुकानों में मनमुताबिक कार्य कर रही है। प्रति महीने खाद्यान्न वितरण के सत्यापन की जिम्मेदारी समिति की होती है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही अगले महीने का खाद्यान्न जारी होना है, लेकिन बिना सत्यापन के ही खाद्यान्न जारी हो रहा है। इसे लेकर खाद्य विभाग गंभीर नहीं है। महीने में एक बार बैठक की जानी चाहिए, जिसके आधार पर सत्यापन रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत की जानी है।
नहीं है निगरानी समिति
कई राशन दुकानों में आज भी निगरानी समितियां नहीं है। इसके चलते ही कई समितियों में संचालक नहीं होने के बाद भी दुकानें चल रही हैं। सेल्समेन ही प्रमाणित कर दुकान का संचालन कर रहा है। जबकि यह कार्य निगरानी समिति का होता है। मामले में जांच होनी चाहिए।
निगरानी समितियों को ये है अधिकार
राशन दुकान के कार्डधारियों की राशन से जुड़ी हर समस्या का निराकरण। महीने में कम से कम एक बार बैठक होनी चाहिए। बैठक में खाद्यान्न का पूरा ब्यौरा लेना। नियमित दुकान खुलती है कि नहीं। इसकी जानकारी लेना। यदि संचालक समिति तय नियमों की अनदेखी करती है, तो बैठक पंजी में टिप लिखना चाहिए।
निगरानी समिति के सदस्य
निगरानी समिति का पदेन अध्यक्ष स्थानीय पार्षद या सरपंच होता है। समिति में पांच से सात सदस्य हो सकते हैं। उस राशन दुकान के हितग्राही के अलावा एक महिला सदस्य होना भी अनिवार्य है। दुकान संचालक मंडल का अध्यक्ष या अन्य सदस्य भी समिति में मेंबर हो सकते हैं।