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अंधेर नगरी, चौपट राजा की तर्ज पर चल रहा प्रदेश का पहला भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान, पूर्णकालिक प्राचार्य नहीं होने से लापरवाही चरम पर!  

जांजगीर-चांपा। एक बहुत पुरानी कहावत है अंधेर नगरी, चौपट राजा। ये कहावत इन दिनों प्रदेश के पहले भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान लछनपुर चांपा में खूब चरितार्थ हो रही है। शुरू से यहां पूर्णकालिक प्राचार्य का आभाव बना हुआ है, जिस पर अब तक ध्यान देना किसी ने जरूरी नहीं समझा। प्राचार्य की अनुपस्थिति में संस्थान का संचालन भगवान भरोसे है और इसका खामियाजा वहां तालीम लेने वाले छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। इन्हीं सब कारणों से संस्थान का रिजल्ट दिनोंदिन खराब आ रहा है। आलम यह है कि हर साल दो चार ही सफल हो पा रहे हैं। संस्थान में लापरवाही चरम पर है, तो वहीं कई शिकायतों पर प्राचार्य भी पर्दा डालने गुरेज नहीं करते।

ताजा मामला संस्थान के संविदा रीडर पुर्णेश्वर रंगारी द्वारा पुनर्मूल्यांकन की राशि तीन साल से सेलम संस्थान में जमा करने के बजाय खुद के पास दबाए रखा गया, जिसकी शिकायत छात्रों ने प्रभारी प्राचार्य से की है। इसके बावजूद शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय प्राचार्य संविदा रीडर की गलती पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे है। संस्थान के विद्यार्थी भानू राठौर, लोकेश साहू, यामिनी सिन्हा, अश्मिता देवांगन, सरिता बंजारे, तनूजा आदि ने स्पीड पोस्ट के जरिए प्राचार्य के नाम पिछले महीने शिकायत प्रेषित की है, जिसमें तीन साल का परीक्षा और पुनर्मूल्यांकन की राशि 2 लाख 64 हजार रुपए छात्रों द्वारा जमा किए जाने के बावजूद संविदा रीडर पुर्णेश्वर रंगारी ने सेलम संस्थान में जमा नहीं किया, जिसके चलते परीक्षाफल तय समय में नहीं मिला। छात्रों ने अपनी शिकायत में खबरों का हवाला देते हुए कहा है कि संविदा रीडर पुर्णेश्वर रंगारी जब रेप के आरोप में जेल में था, उसी समय रंगारी के पिता ने उक्त राशि जमा कराया था। छात्रों ने शिकायत में जमा की गई राशि वापस लौटाने की मांग की है। इधर, जानकारी के मुताबिक, संस्थान में शिकायत प्राप्त कर ली गई है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस मामले में प्राचार्य दोमू धकाते कार्रवाई करने के बजाय इस गंभीर लापरवाही पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं। मीडिया ने जब प्राचार्य दोमू धकाते से इस शिकायत के संबंध में पूछा तो उन्होंने संविदा रीडर की गलती को छिपाने शिकायत की प्रति से अनभिज्ञता जाहिर की, और दिखवा लेने की बात कही। अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि इस मामले में प्राचार्य संविदा रीडर पर कार्रवाई करते हुए छात्रों का पैसा लौटाएंगे या फिर हर बार की तरह संविदा रीडर को बचाने मामले को रफा-दफा कर देंगे।

यह है पूरा मामला
दस्तावेजों के मुताबिक, सेलम आईआईएचटी की परीक्षा एवं पुनर्मूल्यांकन शुल्क की राशि 2 लाख 64 हजार रुपए संविदा रीडर रंगारी ने बीते 5 सेमेस्टर करीब 3 वर्षो से जमा करने बजाय दबाए रखा। जानकारी के मुताबिक, सेलम से लगातार पत्राचार व दबाव बनाने पर जेल में रहते हुए संविदा रीडर रंगारी के पिता ने लगभग 3 वर्षो का शुल्क 4 जून 2023 को जमा करवाया। हमारे पास सेलम संस्थान का भेजा चांपा प्राचार्य के नाम वह पत्र भी मौजूद है, जिसमे उन्होंने बार-बार  प्राचार्य डीडी धकाते को अवगत भी कराया था। अब इतने बड़े वित्तीय अनियमितता व गंभीर मामले में प्रभारी प्राचार्य डीडी धकाते का मौन रहना समझ से परे है।

आखिर कौन है यह संविदा रीडर
बताया जाता है रेप के आरोपी संविदा रीडर पुर्णेश्वर रंगारी के भरोसे ही आईआईएचटी चांपा का संचालन जैसे तैसे किया जा रहा है, जिसके चलते प्रभारी प्राचार्य उन्हें हर में बचाने की चर्चा भी जोरों पर है। यही वजह है रेप के आरोप में 44 दिन जेल में रहने के बाद जब जमानत पर हुआ तो प्रभारी प्राचार्य के मौखिक आदेश पर उसे न केवल संस्थान में ज्वाइन कराया गया, बल्कि जानकारी के मुताबिक उसे तनख्वाह निरंतर दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सितंबर माह में संविदा रीडर की संविदा सेवा समाप्त हो गई, जिसे बढ़ाने के लिए प्रभारी प्राचार्य ने प्रस्ताव भी संचालक रायपुर को भेजा था। इससे प्रभारी प्राचार्य और संविदा रीडर के मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता।