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जयंती पर विशेष: भारतीय राजनीति के अमिट नक्षत्र,भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी: डॉक्टर रविन्द्र द्विवेद्वी

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के अमिट नक्षत्र भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था । उनकी जन्म तिथि को हर वर्ष देशभर में “सुशासन दिवस” के रूप में मनाया जाता हैं । अटल जी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारक , कवि , पत्रकार और जनता के प्रिय जननायक थे । उनका जीवन भारतीय लोकतंत्र, संस्कार और भारतीयता का अद्वितीय उदाहरण हैं ।

हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं ठानूंगा।
काल के कपाल पर
लिखता,मिटाता हूं।
गीत नया गाता हूं…

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय राजनीति में शुचिता और सद्भाव के प्रतीक माने जाते हैं। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने वाले वाजपेयी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संस्कारों को अपनाते हुए भारतीय जनसंघ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई । 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना के साथ वाजपेयी जी इसके प्रमुख स्तंभ बने।

उनका राजनीतिक जीवन लोकहित के प्रति समर्पण का जीवंत उदाहरण है। वे 10 बार लोकसभा सदस्य और 2 बार राज्यसभा सदस्य रहे। 1996, 1998 और 1999 में उन्होंने देश के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनके शासनकाल को सुशासन, आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की गरिमा को स्थापित करने के लिए याद किया जाता है।

एक दिन ऐसा आएगा
स्वर्णिम विहान लाएगा।
सपनों की नई दुनिया होगी
सच्चाई का जय घोष होगा।

1998 में वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को भारत की वैज्ञानिक और सामरिक क्षमता का अहसास कराया। यह कदम आत्मनिर्भरता और साहस का प्रतीक बना। अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद अटल जी ने देशहित को सर्वोपरि रखते हुए यह ऐतिहासिक फैसला लिया।

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान वाजपेयी जी ने अपने दृढ़ नेतृत्व और साहसिक फैसलों से भारतीय सेना का मनोबल ऊंचा रखा। यह उनकी दूरदर्शिता और कूटनीति का ही परिणाम था कि भारत ने विजय प्राप्त की और वैश्विक मंच पर अपने अधिकारों को साबित किया।

अटल जी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना और ग्रामीण सड़कों के विकास जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से उन्होंने देश को बुनियादी ढांचे की दृष्टि से मजबूत किया। साथ ही, दूरसंचार क्षेत्र में क्रांति और उदारीकरण की नीति को लागू कर उन्होंने देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाये।

हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं ठानूंगा।
काल के कपाल पर
लिखता,मिटाता हूं ।
गीत नया गाता हूं।।

भारत रत्न अटल जी न केवल राजनीति में अद्वितीय थे, बल्कि उनका कवि हृदय उनके व्यक्तित्व को और भी प्रभावशाली बनाता था। उनकी कविताएं जैसे “हरिवंश का सूरज”, “गीत नया गाता हूं” और “मौत से ठन गई” आज भी पाठकों को प्रेरणा देती हैं । उनका सरल और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व हर दिल को छू जाता था ।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हमेशा संवाद और शांति को प्राथमिकता दी। पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने के लिए उन्होंने बस यात्रा जैसें अभूतपूर्व कदम उठाए। उन्होंने हमेशा कहा, ” आप दोस्त बदल सकते हैं , लेकिन पड़ोसी नहीं ।
16 अगस्त 2018 को अटल जी इस दुनिया से विदा हो गए, लेकिन उनका योगदान और विचार आज भी हमारे दिलों में जिंदा हैं । उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि राजनीति में मूल्यों और आदर्शों के साथ चलते हुए भी सफलता हासिल की जा सकती हैं ।

भरी दुपहरी में अंधियारा,
सूरज परछाईं से हारा।
अंतरतम का नेह निचोड़ें,
बुझी हुई बाती सुलगाएं।
आओ फिर से दिया जलाए ।।

इस जन्मदिवस पर हम सभी को वाजपेयी जी के विचारों और आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए । उनका जीवन और कर्म भारतीय लोकतंत्र और समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

डॉ रविन्द्र द्विवेदी
शिक्षक एवं साहित्यकार
चांपा जांजगीर-चांपा छग

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